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वीरभूमि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय का इतिहास

महोत्सव नगरी महोबा के परिक्षेत्र में श्री महाराज , बजरंगबली मंदिर, श्रीनगर की प्रेरणा से स्वर्गीय श्री श्याम कुमार वाजपेई (श्याम गुरु) ने अपने उत्साही साथियों - श्री मो. रशीद खाँ महोबा, श्री देवकीनन्दन पालीवाल कहरा, श्री छंगा प्रसाद साहू कबरई, सेठ रामनाथ खरेला, श्री सुरेश चौबे कुलपहाड़, श्री बल्देव प्रसाद गुप्ता महोबा, श्री कल्लू महाराज बांदा, श्री नटवर सिंह घुटबई व श्री परमलाल चौरसिया महोबा के साथ वीरभूमि डिग्री कॉलेज की आधारशिला 26 जनवरी 1973 तद्नुसार 8 सम्वत् 2029 को चार व्याख्यान कक्षों , कार्यालय खंड एवं पुस्तकालय का निर्माण कराकर वीर भूमि महाविद्यालय महोबा की स्थापना की गई ।

वर्ष 1981 में तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के महोबा आगमन पर इस महाविद्यालय के प्रांतीयकरण की मांग की गई । इस मांग को स्वीकार करते हुए इस महाविद्यालय को वर्ष 1982-83 में राजकीय महाविद्यालय का स्वरूप दिया गया । प्रारम्भ में इसमें कला एवं वाणिज्य संकाय में अध्ययन की सुविधा एवं व्यवस्था सुनिश्चित की गई । मार्च 1988 में इस महाविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की धारा 2F एवं 12B के अन्तर्गत पंजीकृत कर लिया गया है । वर्ष 1991-92 में तत्कालीन महामहिम राज्यपाल महोदय द्वारा वीरभूमि राजकीय महाविद्यालय महोबा करने की सहर्ष अनुमति प्रदान की गई । वर्ष 1989-90 एवं 1995-96 में शासन की ओर से दो-दो व्याख्यान कक्षों एवं महाविद्यालय के प्रशासनिक भवन का निर्माण कराया गया । वर्ष 1996-97 से इस महाविद्यालय में विज्ञान संकाय एवं स्नातकोत्तर, एम.कॉम. का शुभारम्भ हुआ तथा सत्र 2001-02 से इस महाविद्यालय में कला संकाय में अर्थशास्त्र, हिन्दी, राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम का शुभारंभ हुआ । सत्र 2001-02 से इस महाविद्यालय का उच्चीकरण वीरभूमि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, महोबा के रूप में हुआ । यह महाविद्यालय बुन्देलखण्ड महाविद्यालय, झांसी से संबद्ध है तथा जनपद मुख्यालय एक मात्र राजकीय उच्च शिक्षा संस्थान के रूप में विद्यमान है । इस महाविद्यालय में शिक्षा की गुणवत्ता के निर्धारण हेतु राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) बंगलोर द्वारा निरीक्षण किया गया तथा सी प्लस-प्लस ग्रेड प्रदान किया गया । सम्प्रति यह महाविद्यालय उत्तरोत्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है ।